
जंगल सफारी की सफेद बाघिन रक्षा ने 3 शावकों को जन्म दिया है। तीनों रक्षा की तरह सफेद हैं। करीब एक माह पहले जन्म लेने वाले तीनों शावकों को अभी पिंजरे से बाहर नहीं निकाला गया है। तीनों अपनी मां के साथ सफारी के पिंजरे में हैं। पिंजरे में लगे सीसीटीवी कैम
बाघिन और तीनों शावकों के सामने अभी जंगल सफारी का स्टाफ भी नहीं जा रहा है। पिंजरे की जाली के माध्यम से उनका भोजन भीतर पहुंचा दिया जा रहा है। नन्हें शावकों को इंफेक्शन से बचाने के लिए हर तरह के संभव प्रयास किए जा रहे हैं। इंफेक्शन से बचाने के लिए ही उन्हें अब तक बाड़े में रखा गया है। डॉक्टरों से लेकर पूरा स्टाफ सीसीटीवी कैमरे के माध्यम से निगरानी कर रहा है।
नवा रायपुर की जंगल सफारी में कुछ दिन पहले तक एक भी सफेद बाघ नहीं थे। कानन पेंडारी बिलासपुर से सफेद शावकों का जोड़ा यहां लाया गया। उनका नाम जया और देव रखा गया था। जया और देव चूंकि एक ही बाघिन के बच्चे थे। इस वजह से उनकी ब्रीडिंग नहीं कराई गई।
इससे इनब्रीडिंग यानी बच्चों में किसी न किसी तरह की शारीरिक अक्षमता का खतरा था। इस वजह से जंगल सफारी से जया को भिलाई के जू में शिफ्ट किया गया। वहां रक्षा को लाया गया। विशेषज्ञों के अनुसार रक्षा चूंकि पहले भी दो बार शावकों को जन्म दे चुकी थी। इस वजह से उसे यहां लाकर वंश बढ़ाने का निर्णय लिया गया।
राज्य में सफेद बाघ की स्थिति
- 03 कानन पेंडारी बिलासपुर
- 05 नवा रायपुर जू
- 08 मैत्रीबाग भिलाई
मध्य भारत में ही मिलते हैं सफेद बाघ देश में केवल मध्य भारत में ही सफेद बाघ मिलते हैं। सबसे पहले 1902 में ओडिशा में ही अंग्रेज अफसर ने सफेद बाघिन को देखा था। उसके बाद 1951 में रीवा में सफेद बाघ देखा गया। उसी के माध्यम से वंश बढ़ाने के प्रयास किए गए। इसके लिए बाघ को जू में रखकर ब्रीडिंग कराई गई।